तेरा चेहरा पता नहीं क्यूँ?
तेरा चेहरा पता नहीं, सच में क्यूँ?
हर पल रहता है मेरे ख्यालों में,
पता नहीं सच में क्यूँ?
जब में कुछ नहीं करता हूँ,
तो समझो सोचता रहता हूँ,
तेरे बारे में, पता नहीं क्यूँ?
और जब मैं सोचता हूँ
की क्या सोचता हूँ तेरे बारे
में तो पता नहीं चलता क्या
सोचता हूँ तेरे बारे में।
सच में अगर कोई पूछ ले
कैसी दिखती हो?
पता नहीं मुझे।
क्यूँ इतनी अच्छी लगती हो,
ऐसा क्या है तुममें,
मैं कभी नहीं बता पाऊँगा।
ये भी नहीं पता की तुम वही
हो जो मैं सोचता हूँ, या नहीं?
पर जानना भी नहीं चाहता।
बस ये पता है की क्यूँ
नहीं जानना चाहता?
शायद मुझे डर लगता है,
किस बात का, ये नहीं पता।
तेरा चेहरा पता नहीं, सच में क्यूँ?
हर पल रहता है मेरे ख्यालों में,
पता नहीं सच में क्यूँ?
जब में कुछ नहीं करता हूँ,
तो समझो सोचता रहता हूँ,
तेरे बारे में, पता नहीं क्यूँ?
और जब मैं सोचता हूँ
की क्या सोचता हूँ तेरे बारे
में तो पता नहीं चलता क्या
सोचता हूँ तेरे बारे में।
सच में अगर कोई पूछ ले
कैसी दिखती हो?
पता नहीं मुझे।
क्यूँ इतनी अच्छी लगती हो,
ऐसा क्या है तुममें,
मैं कभी नहीं बता पाऊँगा।
ये भी नहीं पता की तुम वही
हो जो मैं सोचता हूँ, या नहीं?
पर जानना भी नहीं चाहता।
बस ये पता है की क्यूँ
नहीं जानना चाहता?
शायद मुझे डर लगता है,
किस बात का, ये नहीं पता।
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