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Showing posts from June, 2009

तेरा चेहरा

तेरा चेहरा पता नहीं क्यूँ ? तेरा चेहरा पता नहीं , सच में क्यूँ ? हर पल रहता है मेरे ख्यालों में , पता नहीं सच में क्यूँ ? जब में कुछ नहीं करता हूँ , तो समझो सोचता रहता हूँ , तेरे बारे में , पता नहीं क्यूँ ? और जब मैं सोचता हूँ की क्या सोचता हूँ तेरे बारे में तो पता नहीं चलता क्या सोचता हूँ तेरे बारे में । सच में अगर कोई पूछ ले कैसी दिखती हो ? पता नहीं मुझे । क्यूँ इतनी अच्छी लगती हो , ऐसा क्या है तुममें , मैं कभी नहीं बता पाऊँगा । ये भी नहीं पता की तुम वही हो जो मैं सोचता हूँ , या नहीं ? पर जानना भी नहीं चाहता । बस ये पता है की क्यूँ नहीं जानना चाहता ? शायद मुझे डर लगता है , किस बात का , ये नहीं पता ।